ऐ जिन्दगी!!!
सोचा था, कि अपनी सारी कविताएँ,
सारी नज्में, सारी गजले,
सारे मुक्तक, सारे शेर,
सारे लेख, सारे गीत,
सब तुझे अर्पित कर दु।
सोचा था,
अपनी कविताओं में तुझे आधार बनाकर,
कोई नया नग्मा बना लू,
कोई नयी तहरीर ऐसी लिख दु,
जिसमें सिर्फ और सिर्फ तेरा ही जिक्र हो,
हर दफा तेरी ही फिक्र हो बस!!
सोचा था,
तुझे इतना सजाऊँ, इतना सजाऊँ
कि
कामदेव भी तुझे देखकर शर्मिन्दा होने लगे,
ऐं जिन्दगी!!
सोचा था,
कि हर पल हर लम्हा सिर्फ तेरी यादों मे डूबकर ढेर सारी गजल लिख दु,
सोचा था कि,तुझे इतना प्यार करू इतना प्यार कि कोई देखे तो सहम जाये।
लेकिन!!!
तु तो महज एक सुब्ह के धुधंलके मे दिखाई दिया हुआ सपना बनकर रह गयी
ऐं जिन्दगी!!!
तु महज एक उन्मादमयी स्वप्न के सिवा,
कुछ भी नही, कुछ भी नही,
कुछ भी नहीं!!!!!!!!
#बेखबर....
Comments
Post a Comment