यूँ खुद को ना उदास करों

सारी कोशिशें जब दर दीवार होने लगे
बेवजह जब कोई दरकिनार होने लगे
फलसफाँ रहगुजर का नया आयाम तलाश करों.....
घुट घुट कर जी कर ना खुद को उदास करों....
उम्मीदें सारी जब गम ए रूखसत सी होने लगे
उन्मादमयी सपने सारे यातनाओं मे सोने लगे
करवटे बदल कर नया रास्ता इजाद करो..
अतीत से मुखातिब हो यूँ खुद को ना निराश करों..........

झूठी तोहमत जब दिल के साथ होने लगे
हाल ए जज्बात जब साथ साथ रोने लगे
उठ कर सुदूर सा कोई मन्सूबा नायाब करो....
यादों की गठरी खोल यूँ खुद को ना नासाज करों.....

"बेखबर"

Comments

Popular posts from this blog

बस एक तुम्हारी जीत के ख़ातिर हम अपनों से हार चले हैं...

दो दोस्त बिछड़ने के बाद...