Posts

Showing posts from April, 2016

संवाद: साहित्य- कहानी -: भ्रम में दोस्ती

संवाद: साहित्य- कहानी -: भ्रम में दोस्ती : यूँ ही काँलेज दिनों की बात हैं, नया नया काँलेज शुरू हुआ था, देश के बहुत से राज्यों से विद्दार्थी विद्दाध्ययन के लिये आये हुए थे। विशाल भी उ...

मुक्तक

Image
एक मुक्तक युँ ही चलते चलते................ कहने को मोहब्बत जब कभी , कमरे की चार दीवारी में देखो , कैसे घुटती रहती , किसी मर्दानी बाँहों में झूठी तोहमत झूठे वादे झूठी सब कहानी होती है यारों यह कोई इश्क़ नहीं , फरेबी जवानी होती है।