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Showing posts from September, 2016

गुल्लक और उसके पांच सिक्के

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कुछ ही महीनो पहले की बात है एक नई नई सी गुल्लक कमरे में दाखिल हुई थी, या यह कहे की कोई ईश्वर का फरिश्ता उस गुल्लक को उस एक कमरे में छोड़कर चला गया था.अब गुल्लक कमरे में आयी तो  धीरे धीरे उसमें सिक्के भी आना शुरू हुआ। पहला सिक्का मैं स्वयं था, जो उस गुल्लक में प्रवेश हुआ था, मेरी हैसियत केवल एक मेलोडी खरीदने लायक थी ,क्योंकि मैं था ही एक रुपये का सिक्का ! वह जो गुल्लक थी अंदर से आम गुल्लकों की तुलना में काफी गहरी थी,उसमे मेरे जैसे तकरीबन 500-1000 सिक्के आ सकते थे, वह अलग बात थी की गुल्लक का प्रेम शायद कुछ ही सिक्कों से था या यह कहे की गुल्लक अपने अंदर केवल पाँच सिक्कों को ही रखना चाहती थी , और वह भी एक एक रुपये के पाँच सिक्के। जो अन्य 4 सिक्के थे वह भी मेरी तरह ही एक रुपये वाली या शायद एक रूपये से ज्यादा की हैसियत रखते थे। अब जैसे ही गुल्लक में पाँचों सिक्के एक साथ हुए उनमे आपस में लगाव बढ़ने लगा यह देखकर गुल्लक बहुत खुश हुई, गुल्लक को लगा मेरे अंदर रहने वाले ये सिक्के बहुत खुश है और उन सिक्को की ख़ुशी देखकर गुल्लक मन ही मन खुश होती रही। कुछ ही समय में सिक्के और गुल्लक में इतनी ज्याद

भोपाल से बुदनी घाट

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अचानक सेन्ट्रल लाइब्रेरी से GST पर व्याख्यान सुनने के बाद हमारा प्लान बना कि आज रात भर कहीं घुमा जाये,तो तय हुआ कि बुदनी घाट चलकर नर्मदा नदी को निहारा जाये. हम लोग तकरीबन रात को 9 बजे भोपाल से होशंगाबाद के लिये रवाना हुये, रास्ते में चलते चलते पिछले कुछ दिनों का मानसिक दबाव हल्का लो चला था, हम लोग आजाद महसूस कर रहे थे,गाड़ी को सामान्य रफ्तार में चलाते हुये हम लोग कुमार विश्वास के मुक्तक और जान एलिया,इब्ने इंशा,नूसरत साहब के शेर एक दुसरे को सुनाते जा रहे थे, जब जान एलिया का यह शेर पढ़ा कि- “ कितने ऐश उड़ाते होंगे, कितने इतराते होंगे. जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाँते होंगे. कुछ तो जिक्र करो तुम यारों उसकी कयामत बाहों का, वो जो उनमे सिमटते होंगे वो तो मर जाते होंगे... ” तो एक अजीब सी मुस्कुराहट चेहरे पर ऊभर आयी. धीरे धीरे हमारी गाड़ी मण्डीदीप पहुँची जहाँ ठहर कर हमने चाय पी और उस चाय वाले के दर्द को महसूस किया,बंदा तीन बार से एक ही एक गाना बजाये जा रहा था कि - दोस्ती इम्तेहान लेती है.., चाय पीते पीते कुछ समय के लिये लगा कि कहीं यह चाय वाला हमारे ऊपर तो कटाक्ष नही कर र