"आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी''
मन की बात करने वाले माननीय प्रधानमंत्री अभी तक चुप क्यों हैं ? क्यों वो अपने नालायक बेटे की सुध नही ले रहे हैं ?
125 करोड़ की जनसंख्या वाले खुद्दार देश का प्रधानमंत्री आखिर क्यों 35 करोड़ के अमेरिका से कहता रहता है कि इस 20 करोड़ के पाकिस्तान को समझा ले कि वो हमारे यहाँ आतंकवादी न भेजे।क्या हमारे सैनिक कमजोर हैं ? या हमारी सैन्य शक्ति कम हैं ? या यूँ कह ले कि हम पाकिस्तानियो से डरते हैं ?
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जी नहीं दोस्तों ,ऐसा कुछ नहीं है।दरअसल बात ऐसी है कि,हर पिता चाहता है कि उसका बेटा अच्छा सीखे,उसके अंदर कुछ अच्छे संस्कार आये।
अगर बेटा कूमार्ग ,कुसंगति कि ओर बढता है तो पिता का कर्तव्य होता हैं कि वह उसका मार्गदर्शन करे,उसे सुधरने का अवसर प्रदान करे।और यही हम कर रहे है,पाकिस्तान रूपी कलयूगी ,नालायक बेटे को लायक बनाने का हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ,लेकिन वह हैं कि आखिर सुधरने का नाम ही नही ले रहा।
हम समझा -समझा कर थक चूके है कि,"खुदा गंजे को नाखून नहीं देता है",लेकिन वह तो जिद पर अडा बैठा है कि पापा मुझे कश्मीर चाहिए ,कश्मीर चाहिए ,अब कश्मीर कोई खिलौना थोड़ी है जो दे देंगे ,भला कोई अपनी 'माँ 'का भी सिर दान करता हैं क्या??
खैर छोडिये बस एक बात हमेशा याद रखिये कि "आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी भाई "।।।।????
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कसरादे जी।।
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