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Showing posts from August, 2015

बेहाल मध्यप्रदेश

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नजर नवाज,नजारा ,कुछ बदला हुआ सा हैं । प्रदेश का लोकतंत्र मेरा,आज कुछ सहमा हुआ सा हैं । न शिद्दत बची है कुछ पाने की, न हिम्मत बची है कुछ कर दिखाने की, उठता हुआ मध्यप्रदेश मेरा,आज कुछ सोया हुआ सा हैं । व्यापम की मार से, गुनहगाँरो की हाहाँकार से, आम आदमी की हार से, जालिम सरकार से, देख भोज!तेरा भोपाल आज कुछ खोया हुआ सा हैं । सियासत की खुमारी हैं , पड़ रही अब सब पर भारी हैं , कैसी गहमा-गहमी है ये, जंग अभी तक जारी हैं , देश का प्रधान भी मेरा,आज कुछ "मनमोहन "हुआ सा हैं । चार पेज की फाईल बनी हैं , रिश्वत ही शायद साहिल बनी है, क्या अब कुछ हल निकलेगा ? शायद आज नहीं तो कल निकलेगा , इसी काल्पनिक मार से ,जन जन आज कुछ रोया हुआ सा हैं । नजर नवाज,नजारा ,कुछ बदला हुआ सा हैं । प्रदेश का लोकतंत्र मेरा आज कुछ सहमा हुआ सा हैं । " 

अंधविश्वास

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इस सूचना क्रांति और आधुनिकता के दौर मे हम भले ही अंतरिक्ष और चांद पर घर बसाने कि सोच रहे है।हमारा वैज्ञानिक समाज जो आये दिन नये -नये आविष्कार कर रहा है, हर दिन नीत नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, लेकिन हमारे समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज भी ऐसा है जो अंधविश्वास और झूठी परम्पराओ के जाल मे फँसा हुआ है।और ताज्जुब की बात यह है कि इन अंधविश्वासी परम्पराओ के भवर मे बहुत बड़ा शिक्षित समाज भी है। इस शिक्षित समाज मे भी हम बहुत सी परम्पराओ और अंधविश्वासो को बिना कुछ विचार किये ज्यों का त्यों स्वीकार किये जा रहे है ,हम यह भी नही देख रहे कि इन परम्पराओ का ,इन अंधविश्वासो का कोई आधार कोई अस्तित्व है भी या नहीं । हमारी बहुत सी मान्यताए ऐसी है जो विज्ञान और आधुनिक ज्ञान की कसौटी पर खरी नहीं उतरती है ।वैज्ञानिक युग के बढ़ते प्रभाव के बावजूद अंधविश्वास की जडे समाज से नहीं उखड़ रही है ,अंधविश्वास ,आडम्बर और झूठी परम्पराओ का ज्यादा असर हमारे ग्रामीण क्षेत्रों मे दिखाई दे रहा है।धर्म का झूठा चोला पहने कई पांखण्डीयो द्वारा आज भी लोगों को जादू -टोने,भूत-प्रेत, तांत्रिक विद्या से बीमारियों का उपचार ,भभूत स

"आतंक के गढ मे लोकतंत्र का सम्मेलन"।

अगले महीने होने वाले कामॅनवेल्थ संसदीय सम्मेलन की मेजबानी पाकिस्तान कर रहा है, इसके लीये उसने भारत के सभी विधानसभा अध्यक्षों को न्योता दिया लेकिन कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष को न्योता न देकर साफ तौर से जाहिर कर दिया कि उसकी नापाक नजर अब भी कश्मीर पर ही टीकी है,लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कडे तौर पर यह कह दिया है की अगर कश्मीर को आमंत्रित न किया गया तो इस सम्मेलन का स्थान किसी अन्य देश मे होना चाहिये जो कि बिल्कुल सही निर्णय है। आतंकवाद क ा गढ कहे जाने वाले पाकिस्तान मे लोकतंत्र का सम्मेलन क्या सुचारू रूप से सफल हो पायेगा? या इस पर भी आतंकी गाज गिरेगी। इस सम्मेलन मे भाग लेने वाले विदेशी मेहमान अभी से चिन्तित नजर आ रहे है ।अब देखना यह है कि क्या पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतो से एक बार फिर अपने आप को आतंकवाद की नर्सरी घोषित करता है या अपना योगदान इसे खत्म करने मे देता है।।। पंकज कसरादे

"आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी''

मन की बात करने वाले माननीय प्रधानमंत्री अभी तक चुप क्यों हैं ? क्यों वो अपने नालायक बेटे की सुध नही ले रहे हैं ? 125 करोड़ की जनसंख्या वाले खुद्दार देश का प्रधानमंत्री आखिर क्यों 35 करोड़ के अमेरिका से कहता रहता है कि इस 20 करोड़ के पाकिस्तान को समझा ले कि वो हमारे यहाँ आतंकवादी न भेजे।क्या हमारे सैनिक कमजोर हैं ? या हमारी सैन्य शक्ति कम हैं ? या यूँ कह ले कि हम पाकिस्तानियो से डरते हैं ? । । जी नहीं दोस्तों ,ऐसा कुछ नहीं है।दरअसल बात ऐसी है कि,हर पिता चाहता है कि उसका बेटा अच्छा सीखे,उसके अंदर कुछ अच्छे संस्कार आये। अगर बेटा कूमार्ग ,कुसंगति कि ओर बढता है तो पिता का कर्तव्य होता हैं कि वह उसका मार्गदर्शन करे,उसे सुधरने का अवसर प्रदान करे।और यही हम कर रहे है,पाकिस्तान रूपी कलयूगी ,नालायक बेटे को लायक बनाने का हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ,लेकिन वह हैं कि आखिर सुधरने का नाम ही नही ले रहा। हम समझा -समझा कर थक चूके है कि,"खुदा गंजे को नाखून नहीं देता है",लेकिन वह तो जिद पर अडा बैठा है कि पापा मुझे कश्मीर चाहिए ,कश्मीर चाहिए ,अब कश्मीर कोई खिलौना थोड़ी है जो दे देंगे ,भला कोई अप

"आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी''

Chat conversation end

mera bharat mahan

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आरोप और प्रत्यारोप की राजनीति के इस दौर मे यह तय करना मुश्किल हो गया हैं कि आखिर सच क्या हैं और झूठ क्या ?? लोकतंत्र तो सिर्फ एक मजाक बनकर रह गया हैं।इस अंधी राजनीति वाले दौर मे जनता का महत्व तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा,जनता का दायित्व सिर्फ़ वोट देने तक हि सिमट कर रह गया हैं ,इसलिए इसे जनतातंत्र कहने कि बजाय नेतातंत्र कहे तो कुछ बुरा नहीं होगा।।खैर छोडिये स्वतंत्रता दिवस आने वाला हैं,तो शुरू हो जाइए अब कि  ‪#‎ मेरा‬ -भारत  ‪#‎ महान‬ ।।। । ‪#‎ कसरादे‬ -Ji

suno saheb

अपना खून पसीना एक कर मेहनत से एक-एक रुपया कमाते हैं साहेब , उसके बाद आपको कभी यातायात शुल्क तो कभी शिक्षा शुल्क तो कभी जीवन बीमा और पता नहीं कौन -कौन से शुल्क हम गरीब देते हैं ,तो वो टैक्स रूपी आपकी कमाई जो हम आपको अपना पेट चीर कर देते हैं ,वो इसलिए नहीं देते है कि आप लोकतंत्र रूपी मन्दिर मे आधुनिक राजनैतिक पुजारी बन सब कुछ बर्बाद करते रहो !! 80 करोड़ आपके अप्पा की कमाई हुई जागिर नहीं है जो आप उसे पानी की तरह बहा रहे हो साहेब ???  अगर आपका पक्ष-विपक्ष और आरोप -प्रत्यारोप का  खेल खत्म हो गया हो तो कुछ अब हम मासूम जनता के बारे मे भी सोच लीजिए साहेब । . . ‪#‎ kasrade‬ -ji.