सियासत में जरूरी है रवादारी....समझता है??
गरीबी अशिक्षा भ्रष्टाचार आदि को सिरे से खारिज कर देने के वायदों के साथ लोगों के दिलों में बहुत तेजी से विश्वास घोलने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी धीरे धीरे अपना अस्तित्व खोते जा रही है,जिस जनलोकपाल और भ्रष्टाचार को हथकण्डा बनाकर लोगों के दिलों में जो विश्वास आम आदमी पार्टी ने कायम किया था,वह महज अब एक ढकोसला साबित होते जा रहा है. जिन लोगों ने जनता को यकीन दिलाया था कि वे एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत की नींव स्थापित करेंगे वे लोग खुद उलुल जलुल बयानबाजी या महिला उत्पीड़न के केस में शामिल होकर जनता के अनदेखे विश्वास पर पानी फेरे जा रहे है. अरविंद केजरीवाल का रूख धीरे धीरे धुर विरोधी बनता जा रहा है,हर मसले पर अब केजरीवाल केन्द्र को निशाना बना रहे है,केन्द्र के हर अच्छे काम पर भी केजरीवाल की बयानबाजी उनके व्यक्तित्व को परिभाषित कर रही है. अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में ही आम आदमी पार्टी अपनी इतनी भद्द पिटवा चुकी है जितनी तो विपक्ष की अन्य पार्टियों ने भी नही पिटवाई थी. डेढ़ साल में ही पार्टी के आधे मंत्री हटाने पड़े,करीब दो दर्जन विधायक आपराधिक मामलों में पूलिस के घेरे मे